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क्या 1971 की तरह एक बार फिर से टूट की कगार पर है पाकिस्तान

नई दिल्ली। पनामा पेपर्स लीक में फंसने के बाद सुप्रीम कोर्ट से प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य करार दिए गए नवाज शरीफ ने यह आशंका जाहिर की है कि पाकिस्तान का एक बार फिर से वही हाल हो सकता है जैसा 1971 में हुआ था। नवाज शरीफ की आशंका इस मायने में बेहद अहम मानी जा रही है क्योंकि अमेरिका लगातार पाकिस्तान को चेतावनी दे रहा है। जबकि, पाकिस्तान उसकी अनदेखी कर चीन से अपने संबंध बढ़ा रहा है।

ऐसे में सवाल उठता है कि नवाज शरीफ की इन बातों में कितना दम है? शरीफ को क्यों ऐसा लगता है कि पाकिस्तान एक बार फिर से टूट की कगार पर है? आइए इन सभी बातों को विस्तार से जानने का प्रयास करते हैं और पाकिस्तान मामलों के जानकारों की राय इस पर समझते हैं।

नवाज की चेतावनी- टूट जाएगा पाकिस्तान
पू्र्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने शुक्रवार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जनादेश का सम्मान नहीं किया गया तो पाकिस्तान 1971 की तरह टूट जाएगा। पू्र्व प्रधानमंत्री ने यह आशंका लाहौर हाईकोर्ट के उस फैसले के एक दिन बाद जताई है, जिसमें शरीफ और उनके पार्टी कार्यकर्ताओं की ओर से न्यायपालिका विरोधी टिप्पणियों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। वकीलों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए नवाज शरीफ ने पनामा पेपर्स मामले में उनके और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ जांच में देश की खुफिया एजेंसियों के हिस्सा बनने की भी आलोचना की।

पाक सेना और खुफिया एजेंसी से नवाज ने किया आगाह 
नवाज शरीफ ने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार आइएसआइ और मिलिट्री इंटेलीजेंस के प्रतिनिधियों को ऐसे मामले की जांच के लिए ज्वाइंट इंवेस्टीगेशन एजेंसी का हिस्सा बनाया गया जो न तो आतंकवाद से जुड़ा था और न ही उसका राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई लेना-देना था। देश के 70 वर्षों के इतिहास में सभी 18 प्रधानमंत्रियों को कार्यकाल पूरा किए बिना ही घर भेज

नवाज शरीफ ने आगे कहा कि वह पाकिस्तान में लोकतंत्र की सर्वोच्चता की लड़ाई लड़ रहे हैं और तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक वह लोगों के सहयोग से अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर लेते। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की स्थिति वैश्विक बहिष्कार वाली हो सकती है। ऐसे हालात में देश फिर बंट सकता है। लोकतंत्र के लिए मेरी लड़ाई जारी रहेगा।

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