स्वास्थ्य

क्षय रोगविभाग नेछिजारसी टोल प्लाजा पर कैंप आयोजित कर स्क्रीनिंग की

–       टीब स्क्रीनिंग के साथ ही बीपी – शुगर की जांच कर दवाएं भी वितरित कीं

–       टोल कर्मियों को टीबी के लक्षणों और उपचार के बारे में भी बताया गया

हापुड़, 16 ‌दिसंबर, 2023। क्षय रोग विभाग की ओर से शनिवार को एनएच-9 पर स्थित छिजारसी टोल प्लाजा पर स्क्रीनिंग कैंप का आयोजन किया गया। जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश सिंह कैंप में मौजूद रहे और टोल कर्मियों के स्वास्थ्य का परीक्षण किया। डीटीओ के नेतृत्व में जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी, एसटीएलएस बृजेश कुमार और रामाकृष्णा, एसटीएस दीपक कुमार और एलटी संकेत शर्मा ने टोल कर्मियों की टीबी स्क्रीनिंग की और लक्षण युक्त कर्मियों को स्पुटम जांच के लिए कंटेनर प्रदान किये, ताकि उनकी टीबी जांच कराई जा सके। स्क्रीनिंग कैंप के दौरान सीनियर टोल मैनेजर दीपक वर्मा और मैनेजर रविंद्र सिंह चौहान और बेनी सिंह का विशेष सहयोग रहा। 

डीटीओ डा. राजेश सिंह ने बताया – मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. सुनील कुमार त्यागी के निर्देशन में राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को जन-जन तक पहुंचाने के लिए नित नई गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में शनिवार को छिजारसी टोल प्लाजा पर स्क्रीनिंग कैंप का आयोजन किया गया। टोल कर्मियों को टीबी और राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम की विस्तार से जानकारी दी गई। कुल 76 टोल कर्मियों की स्क्रीनिंग गई और टीबी जांच के लिए लक्षण युक्त छह टोल कर्मियों का स्पुटम (बलगम का नमूना) लिया गया। उन्हें बताया गया – दो सप्ताह से अधिक खांसी या बुखार, खांसी के साथ बलगम या खून आना, सीने में दर्द रहना, भूख न लगना, वजन कम होना और रात में सोते समय पसीना आना, टीबी के लक्षण हो सकते हैं। इनमें से यदि एक भी लक्षण है तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर टीबी की जांच करानी चाहिए।

जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने टोल कर्मियों को बताया – सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी की जांच और उपचार की सुविधा उपलब्ध है। सामान्य टीबी होने की स्थिति में नियमित रूप से छह माह दवा खाने पर टीबी पूरी तरह ठीक हो जाती है। टीबी भी अन्य बीमारियों की ही तरह है, इसे छिपाने की जरूरत नहीं है, अन्य लोग भी क्षय रोगी के साथ सहृदयता के साथ पेश आएं तो टीबी पर काबू पाना आसान हो जाता है। क्षय रोग विभाग के पास दुनिया का बेहतर उपचार उपलब्ध है। डॉक्टर की सलाह के बिना उपचार बीच में न छोड़ें, ऐसा करने पर मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी हो जाती है। उसका उपचार लंबा और कठिन होता है।

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