21 दिसंबर से सघन कुष्ठ रोगी खोज अभियान शुरू
हापुड़, । राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद में 21 दिसंबर से सघन कुष्ठ रोगी खोज अभियान शुरू होगा। यह अभियान चार जनवरी तक चलेगा। अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर लक्षणों के आधार पर संभावित रोगियों को खोजने का काम करेंगी। कुष्ठ रोग की पुष्टि होने पर उनका उपचार शुरू किया जाएगा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. सुनील कुमार त्यागी ने मंगलवार को बताया – सघन कुष्ठ रोगी खोज अभियान की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। अभियान के लिए गठित की गईं सभी टीम को लेप्रोसी केस डिटेक्शन केंपेन (एनसीडीसी) के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। स्क्रीनिंग के लिए हर टीम में महिला और पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ता शामिल रहेंगे।
सीएमओ डा. त्यागी ने बताया- अभियान के तहत स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग करेंगे। कुष्ठ रोग के लक्षणों के बारे में जानकारी देंगे और मिलते-जुलते लक्षण वाले व्यक्तियों को चिन्हित करेंगे। जनपद वासी स्क्रीनिंग टीम को सहयोग करें और लक्षणों के बारे में पूछे जाने वाले सवालों के सही-सही उत्तर दें। उन्होंने कहा- कुष्ठ रोग कोई अभिशाप या कलंक नहीं है। यह बीमारी माइकोबैक्टीरियम लेप्री नामक जीवाणु से होती है। इसलिए इसे छिपाने की जरूरत नहीं है। कुष्ठ रोग का उपचार थोड़ा लंबा होता है, लेकिन यह बीमारी लाइलाज नहीं है। उपचार में लापरवाही दिव्यांगता का कारण बन सकती है।
कुष्ठ रोग कैसे फैलता है ? इस सवाल पर डा. त्यागी ने बताया – इस बीमारी के बारे में बड़ी भ्रांति है कि यह छूने भर से फैल जाती है। ऐसा बिल्कुल नहीं है और न ही यह रोग आनुवंशिक है। हाथ मिलाने या साथ बैठने से यह बीमारी नहीं फैलती। कुष्ठ रोग का संक्रमण भी टीबी की तरह मुंह और नाक से निकलने वाले ड्रॉपलेट के जरिए फैलता है। इसलिए कुष्ठ रोगियों के साथ छुआछूत वाला व्यवहार करना गलत है। यह रोग भी अन्य रोगों की ही तरह है और समय से किए गए नियमित उपचार के बाद पूरी तरह ठीक हो जाता है।
उन्होंने बताया – कुष्ठ रोग मुख्यत: त्वचा की ऊपरी झिल्ली, तंत्रिका तंत्र, आंखों एवं शरीर के कुछ अन्य भागों को प्रभावित करता है। रोगी के शरीर पर हल्के या गहरे रंग के चकत्ते होना, चकत्ते में सुन्नपन होना, उस स्थान पर बाल न उगना, प्रभावित हिस्से पर ठंडे या गर्म का एहसास न होना कुष्ठ रोग के लक्षण हो सकते हैं। कुष्ठ रोग मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) से ठीक हो जाता है।