गाज़ियाबाद

टैक्स निर्धारण के नाम पर नहीं थम रहा है खेल


बिल बताया डेढ लाख का,रसीद दी मात्र ढाई हजार की
-मुददा निगम के वसुंधरा जोन का,मुख्यकर निर्धारण अधिकारी के सामने उठा
मनस्वी वाणी संवाददाता
गाजियाबाद।जहां दावा किया जा रहा है कि निगम के टेक्स विभाग में अब किसी तरह की मनमानी नहीं चलेगी। यदि किसी को गलत बिल भेजे हुए लूट खसौट का खेल किया गया तो संबंधित स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी,लेकिन निगम के टेक्स विभाग में लूट खसौट का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है। सूत्रों की मानें तो निगम के जोनल कार्यालयों पर दलालों सहारा लिया जा रहा है। जिस वक्त व्यक्ति जोन कार्यालय पर पहुंुचता है उसे बताया जाता है कि टैक्स के तौर पर डेढ से दो लाख राशि का बिल बनेगा। एक बार सेटिंग होने के बाद वहीं बिल ढाई से तीन हजार बना दिए जाते है,जबकि पीडित से 50 हजार रूपए तक की वसूली की जाती है। कौशांबी से महिला पार्षद कुसुम गोयल के द्वारा मामले को मुख्य कर निर्धारण अधिकारी के सामने उठाया है।
कौशांबी के कंचन जंगा के भवन संख्या 504 के निवासी राकेश चैपडा ने बताया कि उनके बेटे के इंदिरापुरम के अम्बा रेजीडेंसी के फलैट तथा दूसरा उनके मिलने वाले के कौशांबी के बी 67 फलैट पर टैक्स निर्धारण का मामला था। मिलने वाले के साथ वह फलैटों की रजिस्ट्री से जुडे कागजात लेकर जब वह निगम के वसुंधरा जोन कार्यालय पर पहुंचे तो स्टाफ के द्वारा कहा गया कि चंूकि फलैटों की रजिस्ट्री साल 2005 की है,ऐसे में टैक्स के तौर पर डेढ से दो लाख रूपए की राशि बैठेगी। कार्यालय के गेट पर एक व्यक्ति मिला जो कि देखने से ही एजेंट दिखाई पड रहा था। उसके द्वारा संबंधित स्टाफ से कहा गया कि चंूकि ये बुजुर्ग है,इनसे रजिस्ट्री की फोटो प्रति ले लो और जो कम से कम टैक्स बनता हो,वह लगाते हुए बिल जमा करा लिए जाए। स्टाफ के द्वारा 50हजार की राशि ले ली,बदले में एक फलैट की रसीद 2600 रूपए जबकि दूसरे फलैट की मात्र तीन हजार रूपए की रसीद दी गई। श्री चैपडा बताते है कि मुददा उनके द्वारा स्थानीय पार्षद के सामने उठाया गया।बताते है कि ये खेल निगम के प्रत्येक जोन कार्यालय में चल रहा है।लाल कुंआ के महेंद्र सिंह बताते है कि उन्हें पांच हजार राशि का बिल भेजा गया था,जब वह निगम कविनगर जोन कार्यालय पहुंचे तो संबंधित स्टाफ से बिल ठीक कराने का आग्रह किया तथा इससे पहले जो निगम के द्वारा बिल भेजे जाते थे,उन्हें दिखाया गया। बदले में तीन हजार रूपए लिए गए,जबकि रसीद केवल डेढ हजार राशि की दी गई। यहां बता दे कि हाल में महापौर के द्वारा भी निगम के सिटी जोन कार्यालय के निरीक्षण के दौरान दावा किया गया था कि टैक्स निर्धारण के नाम पर खेल बर्दास्त नहीं किया जाएगा। बताते है कि निगम के जोन कार्यालयों में अभी भी न केवल उन तमाम कर्मचारियों की सेवाएं प्राप्त की जा रही है जो कि रिटायर हो चुके है,बल्कि बाहरी लोगों का भी सहयोग लिया जा रहा है। 

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