उत्तर प्रदेश

पीपीसी कोठीगेट पर हुआ धर्मगुरुओं का संवेदीकरण

हापुड़, \। शासन के निर्देश पर जनपद में बृहस्पतिवार से सक्रिय क्षय रोगी खोज (एसीएफ) अभियान शुरू होगा। जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश ‌सिंह ने बताया- मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. सुनील कुमार त्यागी के कुशल निर्देशन में तैयार माइक्रो प्लान के मुताबिक एसीएफ टीम पहले दो दिन जनपद के आवासीय संस्थानों में विजिट करेंगी। इस दौरान स्क्रीनिंग के साथ - साथ क्षय रोग के बारे में संवेदीकरण किया जाएगा। आवासीय संस्थानों के बाद घर-घर क्षय रोगी खोजने के लिए स्क्रीनिंग की जाएगी। घर- घर क्षय रोगी खोज अभियान के लिए एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मिलाकर 116 टीम गठित की गई हैं। बृहस्पतिवार सुबह सीएमओ डा. सुनील कुमार त्यागी पीपीसी कोठीगेट से एसीएफ टीमों को रवाना करेंगे। एसीएफ से पूर्व बुधवार को दोपहर बाद जच्चा-बच्चा केंद्र (पीपीसी), कोठीगेट के सभागार में सीएमओ डा. सुनील कुमार त्यागी की अध्यक्षता में एसीएफ अभियान के लिए आईएमए, हापुड़ के साथ कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें डब्ल्यूएचओ कंसल्टेंट डॉ. रेणु डफे, आईएमए हापुड़ के अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र मोहन सिंह और सचिव डॉ. विमलेश शर्मा के अलावा पूर्व सचिव डॉ. आनंद प्रकाश, पूर्व सचिव डॉ. विक्रांत बंसल डॉ. रेणु बंसल और डॉ. नीता शर्मा आदि मौजूद रहे। सीएमओ डॉ. त्यागी ने आईएमए से अपील की कि क्षय रोगियों को खोजने में विभाग की मदद करें, यदि कोई क्षय रोगी निजी चिकित्सक से उपचार कराना चाहता है और आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है तो विभाग की ओर से दवा उपलब्ध करा दी जाएंगी। पीपीसी कोठीगेट के सभागार में पहले सत्र में दोपहर 12 बजे से जनपद के विभिन्न मठ, मंदिर और मदरसों से आये धर्मगुरुओं के संवेदीकरण के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। पीपीसी के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. योगेश गुप्ता की अध्यक्षता में हुई कार्यशाला के दौरान धर्मगुरुओं को टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की विस्तार से जानकारी देने के साथ ही टीबी के लक्षणों से भी अवगत कराया गया। डीटीओ डॉ. राजेश सिंह ने धर्म गुरुओं को बताया कि दो सप्ताह से अधिक खांसी या बुखार, खांसी में बलगम या खून आना, सीने में दर्द, वजन कम होना, भूख कम लगना, थकान रहना और रात में सोते समय पसीना आना, टीबी के लक्षण हो सकते हैं। धर्मगुरुओं से अपील की गई कि समुदाय से मुखातिब होते समय टीबी के लक्षणों के बारे में अवश्य बताएं। इसके साथ ही समुदाय को इस बात की जानकारी भी दें कि टीबी की जांच और उपचार की सुविधा सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है। टीबी शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है, लेकिन फेफड़ों की टीबी के मामले अधिक होते हैं और फेफड़ों की टीबी ही संक्रामक होती है। यह सांस के जरिए फैलती है। उपचार शुरू होने के दो माह बाद क्षय रोगी से संक्रमण फैलना बंद हो जाता है। टीबी के संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए जल्दी जांच और उपचार जरूरी है। जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने बताया - जनपद की स‌िंभावली यूनिट को छोड़कर बाकी सात टीबी यूनिट में अभियान चलाया जाएगा। शासन से संवेदनशील क्षेत्रों को शामिल करते हुए जनपद की 20 प्रतिशत आबादी की स्क्रीनिंग के आदेश प्राप्त हुए हैं, उसी के मुताबिक माइक्रो प्लान तैयार किया गया है। अभियान के दौरान खोजे गए रोगियों का 48 घंटे में निक्षय पोर्टल पर पंजीकरण कर उपचार शुरू किया जाएगा। पोर्टल पर पंजीकरण के साथ ही रोगी सरकार की ओर से दी जा रही तमाम सुविधाओं का पात्र हो जाता है। निक्षय पोषण योजना के तहत क्षय रोगियों को हर माह पांच सौ रुपए प्राप्त करने के लिए रोगी के आधार कार्ड और बैंक पास बुक की प्रति की जरूरत होती है।

शुरू होगा सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान

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