गृहस्थ जीवन की सफलता भगवान शिव से सीखे : अतुल कृष्ण भारद्वाज
सेवा प्रकल्प संस्थान से संबंध वनवासी कल्याण आश्रम के द्वारा कवि नगर रामलीला मैदान में आयोजित की जा रही रामकथा के दूसरे दिन कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज ने स्वर्ग एवं नरक की सुन्दर व्याख्या की
उन्होने बताया की मनुष्य जब अपनी अज्ञानतावश भौतिक सुख हेतु दुराचार, पापाचार, व्याभिचार, भ्रष्टाचार में लिपटा हो जाता है, तो उसे नरकीय जीवन यापन करना पड़ता है, वह परमात्मा तक नहीं पहुंच पाता है एव बार-बार जीवन मरण की लीला में भटकता रहता है। पूज्य व्यास जी बताते हैं कि इस कलियुग में श्रीमद्भागवत एवं श्रीरामचरितमानस रूपी गंगा ही, प्राणि को इस भवसागर से पार कराकर आत्मा को परमात्मा से मिलन करा सकता है यानी स्वर्ग की प्राप्ति संभव है। इस कलियुग मैं केवल राम नाम एव सत्संग हे मोक्षधार है l
गृहस्थ जीवन कैसा होना चाहिए पति पत्नी के मध्य संबंध कैसे होने चाहिए यह सब भगवान शिव से सीखने को मिलता है कौन सी बात पत्नी को बताना चाहिए कौन सी बात नहीं बताना चाहिए यह भी भगवान शिव बताते हैं आगे व्यास जी ने कहा कि पिता के घर , मित्र के घर स्वामी के घर व गुरु के घर बिना बुलाए जाना चाहिए l परंतु जब कोई समारोह हो तो बिना बुलाए नहीं जाना चाहिए ऐसी स्थिति में अवसर होने के अलावा कुछ नहीं मिलता पत्नी अगर किसी विषय पर करें तो उपयोग कैसे समझें यह भगवान शिव से सिखाना चाहिए
यदि यदि पत्नी ना माने तो भगवान भरोसे छोड़ना चाहिए l गृहस्थ जीवन में तनाव पैदा करने से कुछ लाभ नहीं होना चाहिए l संसार का समाधान खोजना चाहिए l आज परिवार में माता-पिता पति पत्नी पुत्र पुत्री भाई बहन की बातें नहीं मानते तो समाज का भरोसा कैसे किया जाए l
मनुष्य और बुद्धि को शांत रखे हुए उपयोग प्रति विचार करने से उसका निराकरण हो जाता है l
पूज्य व्यास जी ने कहा कि मनुष्य आज 70 वर्ष की आयु में जी रहा है यदि इसे अधिक आयु है तो समझे बोनस प्राप्त है l
मनुष्य के जीवन में चार पद आते हैं उसका पूर्ण सदुपयोग करना चाहिए l
अंतिम समय में जो संन्यास आश्रम की बात पुराणों में करी गई है उसका भी पालन करना चाहिए लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि वह घर परिवार को छोड़कर चला जाए बाल्की घर को ही बैकुंठ बनाए l
हनुमान जी की तरह भगवान के नाम को सुमिरन और कीर्तन करते रहें l उनको कहा कि शरीर का संबंध स्थिर नहीं होता स्थिर संबंध तो आत्मा का परमात्मा से होता है l इसलीये मनुष्य को अपनी सोच का दायरा बढ़ाना चाहिए उसे संकुचित नहीं करना चाहिए मनुष्य को सियाराम में सब जग जानी
के सिद्धांत पर जीना चाहिए सभी में परमात्मा का दर्शन करना चाहिए।
आज के यजमान
श्रीमती एवं संजीव अग्रवाल संतोष अग्रवाल
सुशील अग्रवाल
अजय भारतीय रहे l
संचालन अंबरीश सिंह ने किया l
समिति के सदस्य मनीष अग्रवाल, राहुल यादव, भानु सिसोदिया, श्री नवीन कुमार का विशेष सहयोग रहा