संपादकीय
गाजियाबाद नगर निगम को महानगर बनाने को लेकर लोनी और खोड़ा के बाद अब डासना और मुरादनगर को भी नगर निगम में शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है। तीन नगर पालिका और एक नगर पंचायत के नगर निगम में शामिल होने के बाद नगर निगम महानगर बन जाएगा। कहा जा रहा है कि इससे नगर पालिकाओं और नगर पंचायत क्षेत्र में विकास की गति को पंख लगेंगे। लेकिन, अब राजनीतिक गलियारों में नगर निगम के दोबारा से चुनाव होने की चर्चाएं भी तेजी से चलने लगी हैं। खोड़ा, लोनी और मुरादनगर पालिका और डासना नगर पंचायत के नगर निगम में शामिल होने के बाद महानगर में 200 वार्ड हो जाएंगे। ऐसे में पार्षदों के निर्वाचन के लिए शासन चुनाव की प्रक्रिया भी अपना सकता है। हालांकि इसमें अभी समय है। चारों क्षेत्रों का परिसीमन भी महानगर के आधार पर किया जा सकता है। एक लंबी प्रक्रिया है, लेकिन जिले में इसे लेकर राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गई हैं। महानगर महापौर बनने के लिए दावेदारों ने सपने संजोने शुरु करने के साथ ही टिकट हासिल करने के लिए संपर्क बढ़ाने भी शुरु कर दिए हैं। कुछ चेहरे जो गाजियाबाद नगर निगम चुनाव के बाद अचानक राजनीतिक कैनवास से नदारद हो गए थे, उनकी उपस्थिति एक बार फिर से विभिन्न कार्यक्रमों में नजर आने लगी है। इतना ही नहीं प्रदेश और केंद्र स्तर के नेताओं से भी उनके संपर्क और मुलाकातों का दौर बढ़ गया है। जिले के राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा काफी जोर शोर से चल रही कि महानगर का गठन होने के बाद दोबारा से पार्षद और मेयर का चुनाव होगा। सूबे के सबसे बड़े नगर निकाय के लिए मजबूत प्रत्याशियों की जरूरत होगी। लिहाजा कुछ ऐसे चेहरे जिन्होंने हालिया निगम चुनाव में मेयर पद के टिकट के लिए भागदौड़ की और पूरा दमखम लगाया वे एक बार फिर से पूरी तरह से सक्रिय नजर आ रहे हैं। हालांकि जानकारों का कहना है कि यदि महानगर का गठन होता भी है, तब भी नगर निगम और चारों निकायों का पंच वर्षीय कार्यकाल पूरा होने पर ही चुनाव होंगे। फिलहाल जिले में राजनीतिक सरगर्मियां और जोड़-तोड़ शुरु हो गई है।