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जेल में बिताए 11 वर्ष ने बना दिया लेखक

  • हत्या के मामले में बंद युवक ने जेल में लिख दिया गुले मुकद्दस
  • इंडिया विजन फाउंडेशन और जेल प्रशासन ने किताब का किया जेल में विमोचन
  • एमजे चौधरी

गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश की सबसे हाईटेक जेलों में सुमार कहलाने वाली डासना की जिला जेल में 11 वर्ष जेल की काल कोठरी में बिताए एक बंदी ने जब अपनी जीवन को अंधकार में पाया तो उसे कुछ नया करने का मन में विचार आया। जिसके चलते उस बंदी ने पहले एक कविता लिखी जिसे जेल प्रशासन और बंदियो द्वारा बहुत पसंद किया गया और उस कविता की जमकर सराहना की गई। बस फिर क्या था उस बंदी के प्रोत्साहन के बाद उसके मन में पढ़ने का विचार आया और जेल में रहकर उसने अपनी पढ़ाई शुरू कर दी। पढ़ाई शुरू होने के उपरांत उसने अपने जीवन के बीते महत्वपूर्ण 11 वर्षों को अपनी लेखनी के जरिये किताब में पिरोकर रख लिया। जिसे जेल प्रशासन और इंडिया विजन फाउंडेशन द्वारा पब्लिकेशन के द्वारा किताब को छपवाया गया । किताब के छपने के उपरांत उसका विमोचन जेल प्रशासन की तरफ से डासना की जेल में किया गया।

जिसमें जेल अधीक्षक आलोक सिंह और इंडिया विजन फाउंडेशन की डायरेक्टर मोनिका धवन ने बंदी शकील अमीरुदीन के जेल से छूटने के बाद जमकर तारीफ करते हुए उसकी किताब का विमोचन भी किया है। जेल अधीक्षक आलोक सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि शकील अमीरुद्दीन गरीब 11 साल पूर्व हत्या के एक मामले में जेल में दाखिल हुआ था और 2022 में जमानत पर रिहा हुए जेल में रहते हुए उन्होंने तीन साल बड़ी कठिनाई के साथ अवसाद से ग्रस्त होकर काटे थे । जो उन्होंने बताया मगर जेल में रहते हुए उन्हें समझाया गया और इसी के चलते शकील अमीरुद्दीन द्वारा एक कविता लिखी गई। जो काफी पसंद की गई थी। उसी से प्रेरित होकर शकील अमीनुद्दीन ने जेल में पढ़ाई की और अपनी जीवनी और जेल पर गुले मुकद्दस के नाम से किताब लिख डाली । जिसको पब्लिकेशन करवाने में इंडिया विजन फाउंडेशन का महत्वपूर्ण योगदान रहा है और उसका डासना जिला जेल में इंडिया विजन फाउंडेशन की टीम और जेल प्रशासन द्वारा विमोचन किया गया। इंडिया विजन फाउंडेशन की डायरेक्टर मोनिका धवन ने बताया कि हमें 2019 में शकील अमीरुद्दीन द्वारा अपनी किताब के बारे में जानकारी दी गई थी उसे हमारे द्वारा किताब को पब्लिकेशन कराया गया है। 2022 में जेल से छूटने के बाद शकील अमीरुद्दीन हमारे कार्यालय और उन्होंने अपनी किताब के बारे में जिक्र किया जेल प्रशासन से बातचीत की गई और इस किताब को पब्लिकेशन कराकर मार्केट में उतर गया है। शकील अमीरुद्दीन ने जानकारी देते हो बताया कि मैं तहे दिल से इंडिया विजन फाउंडेशन और जेल प्रशासन का शुक्रगुजार हूं कि उनके द्वारा मुझे जेल में ऐसा कभी महसूस नहीं हुआ कि मैं जेल में हूं, जेल एक सुधार ग्रह की तरह कार्य कर रही है और मेरे द्वारा गुले मुकद्दस किताब लिखी गई है। जिसको इंडिया विजन फाउंडेशन द्वारा छपवाकर मार्केट में दिया गया है। जेल प्रशासन और इंडिय विजन फाउंडेशन द्वारा किताब का विमोचन किया गया है । मैं सभी का तहे दिल से शुक्र गुजार हूं।

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