दिल्लीनई दिल्ली

सांसदों के निलंबन का 34 साल पुराना रिकॉर्ड टूटा

संपादकीय

संसद की सुरक्षा में चूक मामले को लेकर गृह मंत्री के  सदन में बयान दिए जाने पर अड़े विपक्ष के 78 सांसदों को निलंबित कर दिया गया। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान अब तक विपक्ष के 141 सांसदों को निलंबित किया जा चुका है। सोमवार को निलंबित किए गए सांसदों में राज्यसभा के 45 और लोकसभा के 33 सांसद शामिल हैं। इससे पहले 14 दिसंबर को लोकसभा के 13 और राज्यसभा के एक सांसद को निलंबित किया गया था। एक दिन में बड़ी संख्या में सांसदों को निलंबित किए जाने के मामले में 34 साल पुराना रिकॉर्ड टूट गया है। राजीव गांधी सरकार के दौरान 1989 में एक दिन में 63 सांसदों को एक सप्ताह के लिए निलंबित किया गया था। ये सांसद ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट पर हंगामा कर रहे थे। राज्यसभा में सांसदों की कुल संख्या 245 है। बीजेपी औऱ उसके सहयोगी दलों के 105 सांसद हैं जबकि विपक्षी गठबंधन इंडिया के 64 और अन्य 76 हैं। विपक्ष के 46 राज्यसभा सांसदों को निलंबित कर दिया गया है, जिसके बाद उनकी संख्या 20 बची है। वहीं, लोकसभा में इस समय सांसदों की संख्या 538 है। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के 329 सांसद है जबकि इंडिया गठबंधन के 142 और अन्य दलों के 67 सांसद हैं। इनमें से 46 सांसद सस्पेंड हो चुके हैं, जिसके बाद उनकी संख्या घटकर 92 रह गई है। विपक्ष ने इस कार्रवाई को लोकतंत्र की हत्या बताया है। विपक्ष का कहना है कि सरकार हर मुद्दे पर जवाब देने से बचना चाहती है और सदन में अपनी मनमानी कर रही है। विपक्ष सांसदों के निलंबन के विरोध में लगातार हंगामा कर रहा है। यह विरोध दोहरे तौर पर हो रहा है। सदन के अंदर और बाहर दोनों जगह विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। इस विरोध के चलते सदन की कार्रवाई बार-बार बाधित हो रही है और जनहित के मुद्दों को अनदेखा किया जा रहा है। विपक्ष का कहना है कि सत्ताधारी दल पूरी तरह से तानाशाही पर उतर आया है। सदन के बाहर ईडी, सीबीआई के जरिए विपक्ष को दबाया जा रहा है और सदन के अंदर निलंबन की कार्रवाई से विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है। 

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