गाज़ियाबाददिल्लीस्वास्थ्य

स्वास्थ्य विभागकुत्तो के काटने के मामले बढ़ने के भी गंभीर नहीं

मनस्वी वाणी संवाददाता गाजियाबाद। जिले में डॉग बाइट के मामले बढ़ते जा रहे हैं। बीते पांच महीने को दौरान कुत्ता, बंदर और बिल्ली ने 26828 लोगों को बाइट किया है। जिनके उपचार के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से 34070 एआरवी डोज लगाई गई हैं। यह तो वह आंकड़ा है जो सरकारी अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीजों का है, जबकि सरकारी अस्पतालों में वैक्सीन नहीं लगने पर सैकड़ों को निजी अस्पतालों में भी पहुंचते हैं। जिले में औसतन हर महीने पांच हजार लोग कुत्ते, बंदर और बिल्लियों का शिकार बन रहे हैं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार इन मामलों में 90 प्रतिशत से ज्यादा मामले डॉग बाइट के होते हैं। पिछले पांच महीनों के दौरान ही एक बच्चे की रेबीज से मौत भी हो चुकी है। मंगलवार को ही जिले भर में 138 लोगों को कुत्तों ने काटा। गंभीर बात यह है कि जिले में सरकारी स्तर पर केवल एक ही एंटी रेबीज क्लीनिक है, जो दोपहर में 2 बजे बंद हो जाता है। जिले में सीरम की भी कोई व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण गंभीर मरीजों को दिल्ली रेफर किया जाता है। मंगलवार को 354 लोगों को एंटी रेबीज वैक्सीन लगाई गई, इनमें से 138 नए मरीज थे। एमएमजी और कंबाइंड अस्पताल में ही 235 लोगों को एआरवी लगाई गई। इसके अलावा चारों सीएचसी पर 119 लोगों को एआरवी लगाई गई। जिले में लगातार बढ़ते डॉग बाइट के मामलों के बाद भी स्वास्थ्य विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। एमएमजी और कंबाइंड अस्पताल के अलावा सीएचसी की इमरजेंसी में भी दोपहर दो बजे के बाद पहुंचने वाले मरीजों को एआरवी नहीं लगाई जाती। ऐसे मरीजों को या तो निजी अस्पताल जाने की सलाह दी जाती है या फिर अगले दिन सुबह आने के लिए कहा जाता है। इनमें से 30 प्रतिशत मरीज निजी अस्पतालों में जाकर महंगी दर पर एआरवी लगवा लेते हैं। सीनियर वेटनरी डॉक्टर विजय पाठक बताते हैं कि स्पेस, फूड और डर के कारण डॉग इंसानों को बाइट करते हैं। मौसम में ठंडक आने पर डॉग्स सामान्य से अधिक समय ओपन स्पेस में बिताते हैं, जिससे उनका संपर्क इंसानों के साथ बढ़ता है और इसके साथ ही उनका डर भी बढ़ता है। ऐसे में वह बाइट करते हैं। सामान्य तौर पर कुत्ते तेज आवाज से डरकर या किसी तरह की हरकत से डरकर बाइट करते हैं। इसके अलावा फूड के लालच में बच्चों और बड़ों को बाइट कर देते हैं। डॉ. पाठक बताते हैं कि हर साल सर्दियों में डॉग बाइट के मामले बढ़ते हैं और गर्मियों में इस तरह के मामलों में कमी आती है। गर्मियों में कुत्ते ठंडी जगह तलाशते हैं और दिन भर वहां रहते हैं। शाम को मौसम में ठंडक आने पर वे बाहर निकलते हैं और खाने की तलाश करते हैं। डॉग बाइट के लगातार बढ़ते मामलों पर संज्ञान लेते हुए शासन ने जिले में एआरवी सेंटर बनाने के निर्देश दिए थे। स्वास्थ्य विभाग की ओर से संजय नगर स्थित कंबाइंड अस्पताल में एआरवी सेंटर बना दिया, लेकिन यह सेंटर दोपहर दो बजे तक ही खुलता है। विभाग ने जिले में संवेदनशील इलाके चिन्हित करके उन इलाकों में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर एआरवी की व्यवस्था करने की योजना बनाई थी, लेकिन उस योजना को पूरा नहीं किया जा सका। जिसके चलते जिले में केवल 6 स्थानों पर ही दोपहर दो बजे तक एआरवी की सुविधा मिल पाती है। दोनों अस्पतालों की इमरजेंसी में एआरवी रखवाए गए थे, लेकिन स्टाफ डॉग बाइट के मामले पहुंचने पर वैक्सीन नहीं लगाता है। नोडल अधिकारी डॉ. आरके गुप्ता का कहना है कि सभी अस्पतालों और सीएचसी की इमरजेंसी में एआरवी उपलब्ध है। दोपहर बाद स्टाफ यदि एआरवी नहीं लगा रहा है तो इसकी जांच करवाई जाएगी। विभाग के पास पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध है। संवेदनशील इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को चिन्हित किया गया है, जल्द ही उन पर भी एआरवी उपलब्ध करवाई जाएगी।

Health department not serious about increase in dog bite cases

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