एंटी रेबीज सीरम नहीं होने से मरीजों के जीवन से खिलवाड़। डॉ. बीपीएस त्यागी
- प्रदेश में रोज 24 हजार लोग होते हैं कुत्ते, बंदर, बिल्ली आदि का शिकार
- मरीजों को नहीं लगाया जाता एंटी रेबीज सीरम, संक्रमण होने का रहता है खतरा
- मनस्वी वाणी, संवाददाता
गाजियाबाद। राष्ट्रवादी जनसत्ता दल के चिकित्सा प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ. बीपीएस त्यागी प्रेदश के स्वास्थ्य सिस्टम को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि रेबीज संक्रमण के मामलों में ही स्वास्थ्य विभाग बेहद गंभीर लापरवाही बरती जा रही है।
डॉ. त्यागी बताते है कि सूबे के एक जिले में करीब 300 मरिजों को प्रतिदिन रेबीज के इंजेक्शन लग रहे है तो 80 जिलों के हिसाब से यह संख्या 24000 हो जाती है। रेबीज कंट्रोल करने की नेशनल व विश्व स्वास्थ्य संगठन गाइडलाइन कहती है कि अगर बंदर, कुत्ते और अन्य रेबीज फैलाने वाले जानवर के काटने पर अगर एक बूंद खून भी निकलता है तो उस घाव में एंटी रेबीज सीरम के साथ साथ एंटी रेबीज वैक्सीन सब डरमल व मांसपेशी में लगना बहुत आवश्यक है। सीरम घाव के नीचे व वैक्सीन डेल्टॉयड रीजन में इंट्रा डरमल (ब्लेब बनने तक) व इंट्रामस्कुलर रूट से 0,3,7,14,28 दिन में लगना चाहिए । अन्यथा रेबीज का इन्फेक्शन हो सकता है जो की शत प्रतिशत जानलेवा बीमारी है । पालतू डॉग व अन्य रैबिड एनिमल जो की वैक्सीनेटेड होते हैं, उनके काटने पर 0, 3 दिन में वैक्सीन व सीरम दोनों लगना ही चाहिये। गाजियाबाद में पिछले तीन साल में लग भग 3,28,500 मरीज़ बिना एंटी रेबीज सीरम के ट्रीटमेंट ले चुके है भविष्य में इन मरिजो का क्या होगा भगवान ही जानें। यह हमारे प्रदेश के हेल्थ सिस्टम पर बहुत बड़ा सवालिया निशान उठाता है