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वेव सिटी में आशियाना पर जमा पूंजी लगाना पड सकता है भारी

  • खरीददार सावधान
  • -आडिट आपत्ति के बाद 401 करोड का बिल्डर समूह को आर्थिक लाभ पहुंचाने के प्रकरण में अटकी संशोधित डीपीआर
  • -कुल प्रोजेक्ट होना था 4494.31 एकड में,बिल्डर समूह के हाथ में 298.01 एकड जमीन हाथ में नहीं
  • -मैसर्स उप्पल चडढा समूह की नई योजना में मध्य प्रस्तावित औद्योगिक भूखंडो को संशोधित डीपीआर में  ग्रुप हाउसिंग भूखंडों को कम करते हुए प्लाटेड में विकसित करने की
  • मनस्वी वाणी संवाददाता


गाजियाबाद। यदि निजी बिल्डर मैसर्स उप्पल चडढा समूह के द्वारा विकसित की जा रही हाईटेक वेब सिटी में अपना आशियाना बनाने की तैयारी कर रहे है तो सावधान हो जाए। हो सकता है कि एक बार बिल्डर समूह के द्वारा विकसित की जा रही टाउनशिप में अपना आशियाना बनानें पर एक बडी जमा पंूजी लगाने वालों को एक नया नोटिस थमा दिया जाए कि अब रेट बढ गए है नए रेट के आधार पर भुगतान करना होगा। इसके साथ साथ योजना विकसित करने के दौरान जो लंबी चैडी सुविधाएं उपलब्ध कराने के दावे किए गए,वह उपलब्ध ही नहीं हो। वजह डीपीआर मंजूरी के दौरान जो लेंड यूज बदलाव के दौरान भू उपयोग परिवर्तन शुल्क के तौर पर 401 करोड रूपए का लाभ बिल्डर समूह को लाभ पहुंचाने का आडिट पडताल के दौरान मामला उजागर हुआ था,वह अभी तक समाप्त नहीं हो पाया है। इसके अलावा बिल्डर समूह तय प्रोजेक्ट के आधार पर 298 एकड जमीन की उपलब्धता सुनिश्चित नही कर पाया है। आडिट आपत्ति का ही नतीजा ये है कि बिल्डर समूह के द्वारा जीडीए बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत की गई संशोधित डीपीआर को मंजूरी नही मिल सकी है।
देखा जाए तो करीब साढे चार साढे चार हजार एकड में हाईटेक सिटी विकसित किए जाने के क्रम में शासन स्तर से 21 मई 2005 के दौरान बिल्डर फर्म मैसर्स उप्पल चडढा एवं सन सिटी का चयन किया गया था। 30 नबंवर 2005 को बिल्डर फर्मों के साथ एमओयू को अंतिम रूप दिया गया था। कैग के द्वारा साल 2019 के दौरान की गई आडिट पडताल के दौरान लेड यूज में बदलाव के दौरान मैसर्स उप्पल चडढा समूह को 401 करोड का लाभ पहुंचाए जाने का मामला उजागर हुआ था। बाकायदा कैग के द्वारा आडिट आपत्ति से जुडी रिपोर्ट प्रदेश सरकार के सामनें प्रस्तुत की थीं। मैसर्स उप्पल चडढा समूह के द्वारा 27 मई 2021 में जीडीए कें सामने संशोधित डीपीआर प्रस्तुत की गई। देखा जाए तों संशोधित डीपीआर में ग्राम गिरधपुर सुनारसी की 298.01 एकड जमीन अतिक्रमण से प्रभावित दर्शातें हुए 4196.30 एकड पर योजना विकसित करने का उल्लेख किया गया। मजे की बात ये है कि संशोधित डीपीआर में योजना के मध्य इस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वें रोड के किनारे ग्रुप हाउसिंग भूखडों की संख्या को कम करते हुए उनके स्थान पर प्लाटेड डेवलेपमेंट प्रस्तावित किया गया। हाल में जीडीए के द्वारा मैसर्स उप्पल चडढा समूह के द्वारा प्रस्तुत संशोधित डीपीआर के क्रम में जो शासन को भेजी रिपोर्ट पर यदि गौर किया जाए तो जीडीए से साल 2013 के दौरान स्वीकृत डीपीआर/ले आउट के दौरान भूखंडीय विकास 552.56 एकड में प्रस्तावित दर्शाया गया,जबकि नए सिरे से संशोधित डीपीआर/ले आउट में जमीन के क्षेत्रफल के तौर पर 616.42 एकड दर्शाया गया,लेकिन बिल्डर समूह पर जमीन के स्वामित्व का दूर तक भी उल्लेख नहीं किया गया। इसी तरह से 942.41 एक डमें प्रस्तावित एलआईजी/ईडब्लूएस भवनों की जमीन के स्वामित्व का भी दूर तक उल्लेख नही किया गया। कुल आवासीय के तौर पर बिल्डर समूह पर जमीन के स्वामित्व का 70.56 एवं सार्वजनिक/अर्द सरकारी सुविधाओ के तौर पर 56.56 फीसदी,व्यवसायिक/कार्यालय के लिए 52.40 फीसदी जमीन के स्वामित्व एवं मनोरंजन के तौर पर 48.14,ग्रीन ओपन स्पेस के तौर पर 62 फीसदी जमीन के स्वामित्व का उल्लेख किया गया। बिल्डरों के द्वारा प्रस्तुत संशोधित डीपीआर को हरी झंडी दिए जाने से जुडे प्रस्ताव  जीडीए बोर्ड की 23 नबंवर 2022 को संपन्न हुई बैठक के दौरान प्रस्तुत किया गया,लेकिन बैठक के दौरान प्रस्ताव को आगामी बोर्ड बैठक में रखे जाने का तय हुआ,लेकिन जीडीए बोर्ड की 28 अगस्त 2023 में संपन्न हुई जीडीए बोर्ड की 161 वी बैठक के दौरान हाईटेक सिटी से जुडी संशोधित डीपीआर पर किसी तरह की स्वीकृति नहीं हुई। यहीं स्थिति जीडीए बोर्ड की 29 सितंबर 2023 में संपन्न हुई 162 वी बैठक के दौरान रही। 

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