कलंक नहीं, संक्रामक रोग है कुष्ठ : सीएमओ
- आज से शुरू होगा स्पर्श कुष्ठ रोग जागरूकता अभियान, 13 फरवरी तक चलेगा
- – लक्षणों की अनदेखी करने से स्थाई विकलांगता का कारण बनता है कुष्ठ रोग
गाजियाबाद । कुष्ठ रोग के बारे में लोग जाने और मिथकों को छोड़ समय रहते उसका उपचार शुरू कर सकें, इसलिए सरकार की ओर से 2017 में स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान शुरू किया गया था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि (30 जनवरी) को विश्व कुष्ठ रोग निवारण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व कुष्ठ रोग निवारण दिवस की थीम “भेदभाव का अंत करें, सम्मान को गले लगाएं” रखी गई है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. भवतोष शंखधर ने बताया- यह रोग कोई कलंक नहीं है, बल्कि दीर्घकालीन संक्रामक रोग है, जो माइक्रोबैक्टीरियम लेप्री नामक जीवाणु से फैलता है। यह हाथ-पैरों की परिधीय तंत्रिका, त्वचा, नाक की म्यूकस और श्वसन तंत्र के ऊपरी हिस्से को प्रभावित करता है। यदि कुष्ठ रोग की पहचान और उपचार शीघ्र न हो तो यह स्थाई विकलांगता का कारण बन जाता है।
कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी) के नोडल अधिकारी डा. अमित विक्रम ने बताया – जनपद में 90 कुष्ठ रोगी पहले से उपचार ले रहे हैं, 21 दिसंबर से चार जनवरी तक चले विशेष कुष्ठ रोगी खोज अभियान के दौरान कुल 12 नए रोगी खोजे गए थे। सभी का उपचार शुरू कर दिया गया है। डा. विक्रम ने बताया – जागरूकता के अभाव में समाज में कुष्ठ रोग के प्रति कई भ्रांतियां हैं। यह भ्रांतियां कुष्ठ रोग उन्मूलन में बाधा बन रही हैं। भ्रांतियों को दूर करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन अभियान के अंतर्गत कुष्ठ रोग निवारण दिवस (30 जनवरी, 2017) पर राष्ट्रीय स्तर पर स्पर्श कुष्ठ रोग जागरूकता अभियान शुरू किया गया।
इस वर्ष भी 30 जनवरी से 13 फरवरी तक स्पर्श कुष्ठ रोग जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। कुष्ठ रोग के प्रति जागरूकता के लिए सार्वजनिक स्थानों पर ( जिलाधिकारी कार्यालय, सीएमओ कार्यालय, सभी जिला स्तरीय चिकित्सालयों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर) बैनर और होर्डिंग्स लगाए गए हैं। अभियान के दौरान जनप्रतिनिधि और अधिकारियों की अगुआई में कुष्ठ रोग के निवारण की शपथ ली जाएगी और कुष्ठ रोगी से भेदभाव न करने का प्रण भी लेंगे। जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन कर कुष्ठ रोग के लक्षणों और उपचार के बारे में जानकारी दी जाएगी।
- कुष्ठ रोग के लक्षण
- – त्वचा पर हल्के रंग के दाग होना
- – दाग वाली जगह पर सुन्नपन
- – त्वचा मोटी और कड़ी होना
- – पैरों में दर्द रहित छाले
- – पलक और भौंह के बाल झड़ना