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भारत को वंश चला रहे हैं: राहुल गांधी


वाशिंगटन। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज कहा कि यदि पार्टी उन्हें कार्यकारी जिम्मेदारी निभाने के लिए कहती है, तो वह इसके लिए ‘‘पूरी तरह तैयार’’ हैं। बार्कले में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के छात्रों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि 2012 के आसपास कांग्रेस पार्टी ने ‘‘लोगों के साथ बातचीत करना बंद कर दिया’’। उन्होंने कहा कि ऐसा किसी भी पार्टी के साथ हो सकता है जो 10 साल से सत्ता में हो।

47 वर्षीय राहुल गांधी ने कहा, ‘‘हमने वर्ष 2004 में जो परिकल्पना की थी वह 10 साल के काल के हिसाब से तैयार की गई थी और यह पूरी तरह स्पष्ट था कि हमने वर्ष 2004 में जो परिकल्पना की थी, उसने 2010-11 में आते आते काम करना बंद कर दिया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह कह सकता हूं कि वर्ष 2012 के आस पास कांग्रेस पार्टी में कुछ अहंकार आ गया था और उसने बातचीत करना बंद कर दिया।’’
भूमिका निभाने को तैयार
यह पूछे जाने पर कि क्या पर कांग्रेस पार्टी में कार्यकारी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं, उन्होंने कहा, ‘‘मैं ऐसा करने के लिए पूरी तरह तैयार हूं।’’ लेकिन उन्होंने इस संबंध में निर्णय पार्टी पर छोड़ते हुए कहा, ‘‘हमारी एक संगठनात्मक प्रक्रिया है जो यह निर्णय लेती है और यह प्रक्रिया इस समय जारी है। हमारे पास एक आंतरिक प्रणाली है जिसके तहत हम निश्चित प्रतिनिधियों को नियुक्त करते हैं जो ये निर्णय लेते हैं। यदि मैं यह कहता हूं कि यह मेरा फैसला है, तो यह सही नहीं होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह फैसला कांग्रेस पार्टी को करना है और यह प्रक्रिया इस समय जारी है।’’
वंशवाद पर रखा अपना पक्ष
यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस पार्टी वंशवाद की राजनीति से अधिक जुड़ी है, राहुल गांधी ने इसके जवाब में तर्क दिया कि भारत को वंश चला रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा, ‘‘भारत में अधिकतर दलों में यह समस्या है… श्री अखिलेश यादव एक वंश के वारिस हैं… श्री स्टालिन एक वंश के वारिस हैं… यहां तक कि अभिषेक बच्चन भी एक वंश के वारिस है। भारत इसी तरह चलता है। इसलिए मेरे पीछे नहीं पड़ें क्योंकि भारत इसी तरह चलता है। अंबानी कारोबार चला रहे है। इंफोसिस में भी यही चल रहा है। भारत में ऐसा ही होता है।’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी में कई लोग हैं जिनका किसी वंशवादी परिवार से ताल्लुक नहीं है। राहुल गांधी ने कहा, ‘‘मैं हर राज्य में उनका नाम बता सकता हूं। ऐसे भी लोग हैं, जिनके पिता या दादी या परदादा राजनीति में रहे हैं। ऐसे भी लोग हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘असल सवाल यह है, क्या वह व्यक्ति वास्तव में सक्षम है और क्या वह वास्तव में संवेदनशील है।’’
भाजपा पर हमला
गांधी ने कहा कि भाजपा अधिकतर उन्हीं कार्यक्रमों को लागू कर रही है जो कांग्रेस के शासन में शुरू किए गए थे। उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने मूल खाका हमसे उधार लिया है, लेकिन वह खाका काम नहीं करता क्योंकि हम यह जानते हैं। इसने काम करना बंद कर दिया है।’’ राहुल गांधी ने कहा कि महात्मा गांधी के अहिंसा के विचार पर आज भारत में हमला हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘अहिंसा के विचार ने ही लोगों की इस बड़ी संख्या को एक साथ खड़ा किया।’’
विदेश नीति की आलोचना
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति की भी आलोचना की। राहुल गांधी ने कहा, ‘‘जहां तक अमेरिका (के साथ संबंध में) की बात है, मैं उनकी स्थिति से पूरी तरह इत्तेफाक रखता हूं, लेकिन मुझे लगता है कि वे भारत को कमजोर बना रहे हैं क्योंकि यदि आप नेपाल की ओर देखते हैं, तो चीनी वहां हैं। यदि आप बर्मा को देखते हैं, तो वहां चीनी हैं। यदि पर श्रीलंका को देखें, तो वहां चीनी हैं। यदि आप मालदीव को देखे, तो वहां चीनी हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं (विदेश नीति की) मूल दिशा…. अमेरिका के साथ मित्रता, अमेरिका के साथ निकट संबंध को लेकर सहमत हूं, लेकिन भारत को अलग थलग नहीं कीजिए क्योंकि यह खतरनाक है।’’
आर्थिक नीतियों की आलोचना
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि नोटबंदी का निर्णय अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा था और इससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को दो प्रतिशत तक नुकसान हुआ है। गांधी दो सप्ताह की अमेरिका यात्रा पर आये हुए हैं और वह ‘समकालीन भारत एवं विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का भविष्य’ मुद्दे पर बर्कले में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के छात्रों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आठ नवंबर का नोटबंदी का फैसला मुख्य आर्थिक सलाहकार या संसद की सलाह के बिना लिया गया था और इससे अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि नोटबंदी से देश को भयानक कीमत चुकानी पड़ी है।
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, ‘‘भारत के बेमिसाल संस्थागत ज्ञान को नजरअंदाज कर इस तरह का निर्णय लेना मूर्खतापूर्ण और खतरनाक है।’’ उन्होंने आगे कहा कि भारत में हर रोज 30 हजार नये युवा श्रम बाजार में पहुंच रहे हैं जबकि सरकार प्रति दिन के हिसाब से रोजगार के महज 500 अवसर मुहैया करा पा रही है। उन्होंने कहा, ‘‘आर्थिक वृद्धि में गिरावट से आज देश में लोगों की नाराजगी बढ़ रही है। सरकार की नोटबंदी और हड़बड़ी में लाये गये जीएसटी जैसी आर्थिक नीतियों से खतरनाक नुकसान हुआ है।’’ गांधी ने सरकार पर नोटबंदी से लाखों लोगों को तबाह करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘नोटबंदी के परिणाम के रूप में लाखों छोटे कारोबार तबाह हो गये। किसान एवं अन्य लोग जो नकदी का इस्तेमाल करते हैं, बुरी तरह प्रभावित हुए। कृषि काफी बुरी स्थिति में है और देश में किसानों की आत्महत्याएं आसमान छू रही हैं।’’
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि नोटबंदी से आयी गिरावट पूर्वानुमान के हिसाब से ही है और मध्यम तथा दीर्घ अवधि में अर्थव्यवस्था को इससे लाभ मिलेगा। जेटली का यह बयान तब आया जब रिजर्व बैंक ने कहा कि बंद किये नोटों में से 99 प्रतिशत बैंकिंग प्रणाली में लौट आये हैं। जेटली ने यह भी कहा था कि बैंकों में पैसे के जमा होने का मतलब सारे नोटों का वैध होना नहीं है।

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