दो सप्ताह से अधिक खांसी रहने पर टीबी की जांच जरूरी : डीटीओ
– डीएफएस सेंटर पर टीबी संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन
– सभी 66 कर्मचारियों की हुई स्क्रीनिंग, 46 स्पुटम भी लिए गए
हापुड़, 27 दिसंबर, 2023। संयुक्त निदेशक अतिहिमीकृत वीर्य उत्पादन (डीएफएस) केंद्र, बाबूगढ़ के संयुक्त निदेशक डा. आरबी राम के आग्रह पर बुधवार को केंद्र पर पहुंची जिला क्षय रोग विभाग की टीम ने सभी कर्मचारियों का टीबी के प्रति संवेदीकरण किया। कर्मचारियों की टीबी के लक्षणों के साथ ही राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की विस्तार से जानकारी दी गई। संवेदीकरण कार्यशाला के दौरान डीएफएस केंद्र से डिप्टी डायरेक्टर डा. हयात वारिश सैफी और पशु चिकित्सा अधिकारी डा. साक्षी वशिष्ठ मौजूद रहीं। जिला क्षय रोग विभाग की टीम मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. सुनील कुमार त्यागी के निर्देशन और जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश सिंह के नेतृत्व में पहुंची थी। टीम ने केंद्र के सभी 66 कर्मचारियों की स्क्रीनिंग की और उनमें से 46 कर्मचारियों का स्पुटम (बलगम का नमूना) जांच के लिए लिया ।
डीटीओ डा. राजेश सिंह ने कहा – दो सप्ताह से अधिक खांसी या बुखार, खांसी में बलगम या खून आना, रात में सोते समय पसीना आना, भूख न लगना, वजन कम होना या सीने में दर्द रहना टीबी के लक्षण हो सकते हैं। इनमें से कोई लक्षण नजर आने पर तत्काल टीबी की जांच जरूरी है। इसके साथ ही यदि किसी परिवार में टीबी का रोगी है तो परिवार के सभी सदस्यों को समय-समय पर टीबी की जांच कराते रहना चाहिए। सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी की जांच और उपचार की सुविधा उपलब्ध है। जल्दी जांच और जांच में टीबी की पुष्टि होने पर ही टीबी मुक्त भारत का संकल्प पूरा हो सकता है। वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत का संकल्प पूरा करने के लिए विभाग फोकस्ड जांच कर रहा है। टोल कर्मचारियों की स्क्रीनिंग भी इसी क्रम में की जा रही है।
डीटीओ ने कहा – कोई विभाग, कारखाना या कोई भी प्रतिष्ठान अपने कर्मचारियों की जांच कराकर इस संकल्प को पूरा करने में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकता है। जिला क्षय रोग विभाग का प्रयास है कि अधिक से अधिक लक्षणयुक्त व्यक्तियों की जांच हो। जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने कहा – जांच में टीबी की पुष्टि होने पर घबराने की जरूरत नहीं है। विभाग के पास बेहतर उपचार उपलब्ध है। उपचार के साथ सरकार की ओर से बेहतर पोषण के लिए हर माह पांच सौ रुपए की आर्थिक मदद भी निक्षय पोषण योजना के तहत दी जाती है। जिला क्षय रोग विभाग की स्क्रीनिंग टीम में वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक दीपक और लैब टेक्नीशियन राजेश भी शामिल रहे। डीएफएस केंद्र से डा. समीर बिंदल, डा. सचिन चौधरी और लैब असिस्टेंट अशोक कुमार का सहयोग रहा।