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संगठन और प्रशासन में कौन हुआ फेल, या था कोई खेल

सीएम योगी से मुलाकात के मामले में मचा घमासान
लाइनअप शब्द से बिगड़ गया माहौल, आखिर इस प्रकरण का जिम्मेदार कौन
भाजपा नेताओं ने डीएम के ऊपर फोड़ा ठिकरा, चाय के पैसे वापस कराएं
कहीं सीएम के सामने समस्याओं का पुलिंदा न खुले, इस लिए तो नहीं कर दिया कांड
मनस्वी वाणी, संवाददाता

गाजियाबाद। गाजियाबाद में ट्रीपल इंजन की सरकार और यूपी के मुखिया से मिलने के लिए जनपद के वरिष्ट नेताओं में मच गया घमासान, बात ने इतना पकड़ा तूल की लेटर पर चाय के पैसों की फोटो भी मीडिया में जारी हो गई, पूर्व वालें जनप्रतिनिधियों ने लाइनअप वाले शब्द का विरोध वहां से निकल कर दिया, हालांकि पूरा प्रकरण डीएम के सर पर मंड दिया लेकिन अब चर्चाओं का दौर जारी है वर्तमान वालों की अच्छी मुलाकात हुई तो पूर्व वालों के साथ किसने ऐसा खेला कर दिया, जब बुलावा उनके पास आया था बकायदा पास भी बनकर आया था लेकिन मामला चाय, नाश्ते तक सिमट गया और महाराज के दर्शन कर उनसे मुलाकात करने वालों के अरमानों पर पानी फिर गया। फाइलों का जो पुलिंदा गया था वह भी बैग से बाहर नहीं निकल पाया और आपने आत्मसम्मान में सभी पूर्व वाले विधायक, सांसद और पार्षद वापस मुंह लटका कर आ गए। बाद में उन्होंने ऐसा लेख लिखा कि पूरा मामला सोशल मीडिया पर दौड़ गया, हंगामा भाजपा के अंदर भी मच गया। इस प्रकरण के अंदर की कहानी सब जानना चाह रहे है। संगठन की खामिया रही या प्रशासन नहीं चाहता था कि कहीं मामले में टिवस्ट न आ जाए इस लिए मुलाकात न पूर्व वालों की महाराज जी से हो पाए।
यह है पूरा मामला
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गाजियाबाद प्रवास के दौरान भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेता उनसे मिलने पहुंचे थे। बीजेपी के कुछ नेताओं का आरोप है कि इस दौरान जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने उन्हें लाइन में लगाकर अपमानित किया। हाथों में एक-एक फूल देकर वार्ता स्थल की बजाय गेट के पास लाइनअप कर दिया गया। भाजपा नेताओं द्वारा नाराजगी व्यक्त करने पर जिलाधिकारी ने चाय पिलाने का हवाला दिया था। इसके बाद भाजपा नेता बिना मुख्यमंत्री से मिले वापस चले गए और अब नेताओं ने 50 रुपये प्रति चाय के हिसाब से 700 रुपये जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह को वापस करने का दावा किया है। इस घटना के बाद एक सार्वजनिक पत्र जारी किया गया है, जिसमें जिलाधिकारी को संबोधित करते हुए पत्र को सोशल मीडिया पर डाला गया है। उसके बाद इस पत्र की चारों तरफ चर्चा हो रही है।


जिलाधिकारी को भेजा गया पत्र
पत्र में जिलाधिकारी को संबोधित करते हुए कहा गया है कि मुख्यमंत्री से भाजपा के वरिष्ठजन के साथ वार्ता करने का कार्यक्रम निर्धारित था, परंतु आपके द्वारा सभी को निकासी द्वार पर वार्ता के स्थान पर लाइनअप किया जाने लगा। इस पर सभी ने अपने को अपमानित महसूस किया और वहां से कार्यक्रम छोड़कर चले आए। आपने तब यह कहा कि मैंने आपको चाय पिलाई है। अत: उस चाय का 50 रुपये प्रति चाय के हिसाब से 700 आपको भेजे जा रहे हैं। सभी वरिष्ठजन भाजपा। पत्र के साथ में 700 रुपए भी दर्शाए गए हैं।
इन लोगों ने किए पत्र में साइन
मुलाकात वाले षडयंत्र के बाद जो लेटर जारी हुआ है उसमें पूर्व सांसद रामेश चन्द तोमर, पूर्व विधायक रूप चौधरी, पूर्व विधायक कृष्णवीर सिरोही, पूर्व विधायक प्रशांत चौधरी, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य पृथ्वी सिंह, प्रदेश संयोजक सदस्य अभियान अजय शर्मा, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य पवन गोयल, पूर्व महानगर अध्यक्ष विजय मोहन, पूर्व पार्षद अनिल स्वामी, पूर्व पार्षद राजेन्द्र त्यागी, पूर्व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य विरेश्वर त्यागी, पूर्व संयोजक महानगर सरदार एसपी सिंह के नाम है।
मुलाकात की बात लाइअप तक क्यों पहुंची
इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ा सवाल यह है कि लाइअप से उखड़े नेताओं ने डीएम के सर पर पूरा ठिकरा फोड़ा है। उनका साफ कहना है कि जब हम बुलाया गया था तो हमें लाइअप करने की बात क्यों कहीं गई है। हम भी नेता है कोई पुलिस प्रशासन के अधिकारी नहीं है। जो अधिकारियों के कहने पर लाइअप होकर खड़े हो जाते, हमारा भी खुद का वजूद है, जब इस बात का विरोध किया तो उन्होंने चाय और नाश्ते की बात सार्वजनिक कर दी, हम लोगों ने इसलिए चाय के पैसे वापस कर दिए कही इसका बिल भी ज्यादा न बना दिया जाए।
पास कमिश्नरेट बनाता हैं, मैं नहीं: डीएम
डीएम राकेश कुमार ने बताया कि संगठन ने जो पास जारी किए थे उस पर आप देख सकते है मुलाकात लिखा हुआ या प्रस्थान के समय मौजूद रहने की बात लिखी है, यह तो संगठन वाले जानते होंगे, रही बात पास बनाने की तो जब से कमिश्नरेट बना हुआ है तभी से कमिश्नर के यहां से पास बनते है, प्रशासन की तरफ से नहीं।
पास बनवाने में था प्रस्थान के समय मौजूद रहे का जिक्र, तो मुलाकात की बात किसने फैलाई
अब इस प्रकरण में सबसे बड़ा ट्विस्ट तब आया जब मुलाकात के सीन से अधूरे रहे नेताओं ने सीधे-सीधे आरोप लगया कि उन्हें महानगर महामंत्री सुशील गौतम का फोन आया था और उन्होंने कहा था कि अपाकी सीएम साहब से मुलाकात होनी है और समयनुसार आप पहुंच जाइए, लेकिन पास बनवाने वाले प्रकरण में महानगर की तरफ से यह लिखा हुआ था कि सीएम साहब के प्रस्त्थान के दौरान आप मौजूद रहेंगे। महामंत्री सुशील गौतम से जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि इस मुलाकात वाले सीन में उनका कोई रोल नहीं था, न तो उनका नाम मुलाकात के लिए था न फूल देने में था, उन्होंने फोन जरूर किया लेकिन फूल देना भी मुलाकात ही होता है। वरिष्ट नेता पूर्व विधायक रूप चौधरी, अजय शर्मा ने बताया कि हमें महानगर संगठन ने गूमराह किया है, उन्होंने मुलाकात और चर्चा की बात कहीं।

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