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हरियाणा में विधानसभा की 30 सीटों पर डेरा का असर

नई दिल्ली/चंडीगढ़. शुक्रवार को डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को रेप केस में पंचकूला में सीबीआई कोर्ट ने दोषी करार दिया। फैसले के बाद कई इलाकों में भड़की हिंसा में 32 लोगों की मौत हो गई। माना जाता है कि हरियाणा की 30 विधानसभा सीटों पर राम रहीम का असर है, यहां राम रहीम के 35 लाख समर्थक हैं। वहीं, सरकार ने 10 ऐसी गलतियां कीं, जिसके चलते पंचकूला में हिंसा भड़क गई।   
– पंजाब और हरियाणा में चुनाव से पहले हर राजनीतिक दल के नेताओं की आवाजाही बढ़ जाती है। राज्य में राम रहीम के 50 लाख से अधिक समर्थक हैं। दलितों में इसकी मजबूत पकड़ है। माना जाता है कि राम रहीम जिस पार्टी की तरफ इशारा करते हैं, उसके समर्थक उसी ओर जाते हैं।
– राम रहीम का हरियाणा के नौ जिलों की करीब 30 से ज्यादा सीटों पर दखल है। इस बार डेरा ने भाजपा का समर्थन किया था। 12 से ज्यादा सीटों पर जीत मिली।
– इससे पहले के चुनाव में बीजेपी इनमें से सिर्फ भिवानी सीट पर ही जीती थी। सूबे में इससे पहले डेरा इनोलो और कांग्रेस की जीत में अहम भमिका अदा कर चुका है।
राज्य के 3 मंत्री समेत केंद्र के मंत्री तक ने राम रहीम के लिए खोला सरकारी खजाना
– हरियाणा के शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा ने राम रहीम के जन्मदिन पर 51 लाख रुपए देने का एलान किया था।
– रुमाल छू प्रतियोगिता को बढ़ावा देने के लिए खेल मंत्री अनिल विज ने 50 लाख और सहकारिता राज्यमंत्री मनीष ग्रोवर ने खेल लीग के लिए 11 लाख रुपए दिए थे।
– केंद्रीय खेल मंत्री विजय गोयल भी स्टेडियम बनाने के लिए 30 लाख रुपए की मदद कर चुके हैं।
सरकार की 10 बड़ी गलतियां, जिससे पंचकूला में पहली बार हुई हिंसा
1. पंचकूला समेत कई जिलों में केवल धारा 144 लागू करके ही इतिश्री कर ली। वीरवार को केवल सिरसा में ही कर्फ्यू लगाया गया। पंचकूला में डेरा समर्थकों को जुटने दिया गया। उपद्रव के बाद शुक्रवार को कैथल और कलायत में भी कर्फ्यू लगाया गया।
2. हाईकोर्ट में धारा 144 लागू करने का आदेश जारी करने में ही क्लेरिकल मिस्टेक बताई गई। अफसरों ने बिना पढ़े और चैक करे ही इस आदेश पर दस्तखत कर दिए। क्या किसी ने इसे चेक नहीं किया?
3. डेरा प्रमुख के प्रति भाजपा सरकार का रवैया शुरू से ही ढीला रहा। सरकार के मंत्रियों ने ही ऐसे संकेत दिए जिससे अफसरों में भ्रम की स्थिति बनी।
4. हाईकोर्ट की कड़ी फटकार के बावजूद 16 घंटे तक भी डेरा समर्थकों को पंचकूला से बाहर नहीं निकाला जा सका। जबकि डीजीपी संधु ने खुद पंचकूला खाली करवाने का दावा किया था।
5. सरकारी सुरक्षा इंतजाम देखने में भले ही भारी लग रहे थे, लेकिन डेरा प्रेमियों के आक्रोश के सामने बहुत जल्दी धराशायी हो गए। दंगा कंट्रोल करने में सेना नजर नहीं आई। सुरक्षा बलों को भी सरकारी बिल्डिंगों में घुसकर जान बचानी पड़ी।
6. दंगा करने वाले डेरा प्रेमी अपने साथ थैलों में पत्थर, ईंट और बोतलों में पेट्रोल लेकर आए थे। पुलिस और प्रशासन ने इन पर कोई नजर नहीं रखी और न ही अंदर आते वक्त तलाशी ली गई।
7. कोर्ट का फैसला आने से पहले अगर पुलिस प्रशासन सुबह से ही कर्फ्यू लगाकर डेरा प्रेमियों को बाहर घग्घर की तरफ खदेड़ देता तो शहर में इतना नुकसान नहीं होता। लेकिन प्रशासन फैसले का इंतजार करता रहा।
8. सीआईडी और आईबी के इनपुट को गंभीरता से क्यों नहीं लिया गया। इसमें बताया गया था कि डेरा प्रेमी दंगा कर सकते हैं। वे पूरी तैयारियों के साथ पंचकूला आए हैं।
9. हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान वीरवार को हरियाणा पुलिस ने हाथ खड़े कर दिए थे कि पंचकूला में वे हालात नहीं संभाल सकते। फिर भी कोई वैकल्पिक इंतजाम नजर नहीं आए।
10. फैसले से पैदा होने वाले संभावित हालात को संभालने के लिए सरकार अफसरों के भरोसे ही बैठी रही। राजनीतिक स्तर पर सिवाय शांति की अपील करने के कोई प्रयास नजर नहीं आए।
जाट आंदोलन और रामपाल प्रकरण में भी फेल हो गई थी हरियाणा की खट्टर सरकार
1. जाट आंदोलन : 8 जिले झुलसे, 30 से अधिक मौतें, 25 हजार करोड़ का नुकसान
जाट आंदोलन से भी निपटने में सरकार नाकाम रही थी। रोहतक में आंदोलनकारी हिंसक हो गए और सरकार को पता भी नहीं चला। इस हिंसा में 8 जिले झुलस गए थे। 30 से अधिक मौतें हुई थी। आंदोलकारियों ने करोड़ों की सरकारी और निजी संपत्ति में आग लगा दी थी। महिलाओं के साथ दुष्कर्म की भी खबरें आईं थीं। करीब 25 हजार करोड़ का नुकसान हुआ था।
2. रामपाल की गिरफ्तारी : दो हफ्ते लगे थे आश्रम से बाहर निकालने में, 6 की मौत
खुद को स्वयंभू संत घोषित कर चुके रामपाल की गिरफ्तारी पर भी हरियाणा सरकार सख्ती से नहीं निपट पाई थी। करीब दो सप्ताह तक रामपाल के समर्थकों और पुलिस के बीच तनावपूर्ण माहौल रहा था। बाद में उसे सतलोक आश्रम से गिरफ्तार किया गया। इस दौरान आश्रम में मौजूद रहे छह लोगों की मौत हो गई थी। रामपाल पर अदालत की अवमानना का मामला था।

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