आध्यात्म

24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के दौरान वैदिक विधि विधान से दीक्षा और यज्ञोपवित संपन्न कराया

ट्रांस हिंडन। शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में गायत्री परिवार साहिबाबाद द्वारा आयोजित किए जा रहे पांच दिवसीय 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं प्रज्ञा पुराण कथा कार्यक्रम के पंचम दिवस सुबह के सत्र में देवों के आवाहन के पश्चात विभिन्न संस्कार – पुंसवन, दीक्षा, यज्ञोपवित वैदिक विधि विधान से संपन्न कराए गए। 

व्यास पीठ से गुरु की परिभाषा बताते हुए कहा गया कि सदगुरु दीक्षा देते समय कान नहीं फूंकता, प्राण फूंकता है और अपने तप का एक अंश शिष्य को देता है। वेद मूर्ति, तपोनिष्ठ, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने प्रचंड तप के माध्यम से गायत्री को सिद्ध किया है। चौबीस वर्षों तक गऊ माता के गोबर से निकले साबुत जौ के दाने को निथार कर बनी जौ की रोटी और छाछ का सेवन कर 24-24 लाख गायत्री मंत्र के 24 पुरश्चरण किए हैं। दो वर्ष तक हिमालय में अज्ञातवास कर साधना की है तभी इनको ‘तपोनिष्ठ’ की उपाधि मिली। वेदों का भाष्य करने से ‘वेद मूर्ति’ की उपाधि मिली। परम पूज्य गुरू से दीक्षित करोड़ों लोगों का संपूर्ण जीवन बदला है। 

तत्पश्चात अग्नि प्रज्जवलित कर गायत्री मंत्र की आहुतियों के साथ पूर्णाहुति यज्ञ आरंभ हुआ। आज के महायज्ञ में उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री नरेंद्र कश्यप ने उपस्थित होकर पुण्य लाभ प्राप्त किया। पूर्णाहुति के पश्चात भंडारा प्रसाद का वितरण किया गया। पूजन में वरुण, प्रबिंद दूबे, सुरेश राय, संतोष गौतम,  नूतेंद्र, किशन सिंह बिष्ट, आनंद, आलोक, धरमचंद वर्मा, सुशील पांडे आदि उपस्थित रहे।

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