स्वास्थ्य

ठंड और प्रदूषण का कॉकटेल से ब्रेन हेमरेज का खतरा

  • अस्पतालों में बढ़ी हाई बीपी के मरीजों की संख्या
  • घर से बाहर मास्क लगाकर निकलें, खुले में व्यायाम से करें परहेज

मनस्वी वाणी, संवाददाता

गाजियाबाद। इन दिनों सर्दी के साथ प्रदूषण का स्तर बेहद बढ़ा हुआ है। प्रदूषित हवा से फेफड़े और पूरे शरीर को किसी न किसी रूप में नुकसान होता ही है, लेकिन इससे ब्रेन हेमरेज भी हो सकता है। सीनियर न्यूरोसर्जन कहते हैं कि घटिया गुणवत्ता वाली हवा में सांस लेने से फेफड़े ठीक से काम नहीं कर पाते और दिमाग में रक्त की आपूर्ति कम हो जाती है। यह स्थिति लगातार बनी रहे तो ब्रेन हेमरेज होने की आशंका बहुत ज्यादा बढ़ जाती है।

सीनियर न्यूरो सर्जन  डॉ. मनीष वैश्य  बताते हैं कि प्रदुषित हवा में ज्यादा समय तक रहने से बचना चाहिए। इन दिनों मौसम ठंडा होने के कारण प्रदूषण जमीन से ज्यादा ऊपर नहीं उठ पाता है और घातक तत्व 10 से 20 फुट की उंचाई पर ही रहते हैं। यह तत्व सांस के साथ आप इनहेल करते हैं और उनका दुष्प्रभाव शरीर पर पड़ता है। ज्यादा समय तक प्रदुषित हवा में सांस लेने से इसका असर दिमाग की कोशिकाओं पर पड़ता है और इससे ब्रेन हेमरेज तक हो सकता है। इसके अलावा सर्द मौसम भी ब्रेन हेमरेज की आशंका को काफी बढ़ा देता है, इससे न केवल उन लोगों के लिए जो हाई बीपी से पीड़ित हैं बल्कि सामान्य लोगों के लिए भी खतरा बढ़ जाता है। सर्दी और वायु प्रदूषण इस खतरे को दोगुना कर देते हैं। इसका सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को रहता है। बच्चों का दिमाग विकसित हो रहा होता है और ऐसे में उनके दिमाग में प्रदूषित तत्व पहुंचने पर न केवल उसका विकास रोकते हैं बल्कि उन्हें दिमाग संबंधी रोगों का शिकार भी बनाते हैं। सबसे ज्यादा जरूरी है कि इन दिनों बच्चों और बुजुर्गों को मास्क लगाकर ही घर से निकला चाहिए। सीनियर डॉ. यशपाल सिंह बुंदेला कहते हैं कि कम तापमान में हाई बीपी का खतरा बढ़ जाता है और प्रदूषण का उच्च स्तर इसमें ट्रिगर का काम करता है। जिससे ब्रेन हेमरेज का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसलिए ठंडे मौसम में स्वास्थ्य संबंधी खतरों को कम करने के लिए सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। जिन लोगों को हाई बीपी की परेशानी रहती है उन्हें ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। डॉ. बुंदेला कहते हैं कि साधारण तौर पर वायु प्रदूषण का दिमाग से कोई संबंध होने की बात से लोग अनजान ही हैं, लेकिन लगातार यदि ऐसी स्थित बनी रहती है तो खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।
–अस्पतालों में बढ़ रहे हैं हाई बीपी के मरीज
जिला एमएमजी और कंबाइंड अस्पताल में पिछले एक महीने के दौरान हाई बीपी के मरीजों की संख्या में 40 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। एमएमजी अस्पताल के सीनियर फिजिशियन डॉ. आरपी सिंह बताते हैं कि उनके पास एक महीने पहले तक हाई बीपी के 40 से 45 मरीज रोजाना आते थे, लेकिन एक महीने के दौरान मरीजों की संख्या 74 से 80 तक पहुंच गई है। कंबाइंड अस्पताल के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुनील कात्याल बताते हैं कि उनके पास भी हाई बीपी के मरीजों की संख्या में 40 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है।
–ऐसे लक्ष्ण दिखें तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं
बांह का सुन्न पड़ जाना
बोलने में लड़खड़ाहट होना
मुसकुराने में दिक्कत होना या होठों का बेतरतीब फैल जाना
अचानक गंभीर सिरदर्द
शरीर के एक तरफ कमजोरी या सुन्नता
दृष्टि गड़बड़ाना, चक्कर आना या संतुलन न बना पाना
बिना किसी स्पष्ट कारण के उल्टी होना

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