बीजिंग/नई दिल्ली. इंडियन आर्मी चीफ के चीन और पाकिस्तान को खतरा बताए जाने वाले बयान से चीन नाखुश है। गुरुवार को चीन की तरफ से दो बयान आए। चीन के फॉरेन मिनिस्टर वांग यी ने कहा- दोनों देशों को माइंडसेट बदलने की जरूरत है। हम एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं हो सकते। वहीं चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन ने कहा- हमें नहीं पता कि रावत इस तरह का बयान देने के लिए ऑर्थराइज्ड हैं भी या नहीं। लेकिन, हमने उनका बयान नोट किया है। बता दें कि रावत ने बुधवार को कहा था कि भारत को दो मोर्चों पर जंग के लिए तैयार रहना चाहिए।
– चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन गेंग शुआंग ने रावत के बयान पर उन्होंने कहा- उन्हें प्रेसिडेंट शी का वो बयान देखना चाहिए था जिसमें उन्होंने दोनों देशों को डेवलपमेंट के रास्ते पर साथ चलने और टकराव छोड़ने को कहा था।
– शुआंग ने आगे कहा- मुझे नहीं मालुम रावत का बयान उनका है या ये भारत सरकार का बयान है। हमने रावत और भारत के मीडिया में आईं कुछ रिपोर्ट्स को नोट किया है। हम नहीं जानते कि रावत इस तरह का बयान देने के लिए ऑर्थराइज्ड पर्सन हैं भी या नहीं।
– शुआंग ने आगे कहा- मुझे नहीं मालुम रावत का बयान उनका है या ये भारत सरकार का बयान है। हमने रावत और भारत के मीडिया में आईं कुछ रिपोर्ट्स को नोट किया है। हम नहीं जानते कि रावत इस तरह का बयान देने के लिए ऑर्थराइज्ड पर्सन हैं भी या नहीं।
– चीन के फॉरेन मिनिस्टर वांग यी ने कहा- दोनों देशों को माइंडसेट बदलने की जरूरत है। एक दूसरे को राइवल या खतरा ना समझें। ये भी ध्यान रखना चाहिए कि दोनों देशों के बीच जो मतभेद हैं वो कही बेकाबू हालात में ना बदल जाएं।
– यी का बयान ब्रिक्स समिट के दौरान नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद आया है। हालांकि, उन्होंने माना कि हाल के कुछ महीनों में दोनों देशों के रिश्ते कुछ कमजोर हुए हैं और इसकी वजहें भी जाहिर हैं।
– यी ने अपने बयान में डोकलाम विवाद का जिक्र नहीं किया। सिक्किम के ट्राइजंक्शन एरिया डोकलाम में भारत और चीन के सैनिक 73 दिनों तक आमने-सामने रहे थे।
– वांग ने कहा- हमें उस रास्ते पर आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए जो दोनों नेताओं ने तय किया है। बाइलेटरल रिलेशन सही रास्ते पर होने चाहिए। इनको पटरी से नहीं उतरना चाहिए। ऐसा रास्ता खोजना चाहिए जिसमें दोनों को फायदा हो। एक-दूसरे को खतरा नहीं मानना चाहिए।
– यी के मुताबिक- पंचशील सिद्धांत को फॉलो किया जाना चाहिए और इसी के जरिए आपसी विवादों को हल करना चाहिए।
– यी का बयान ब्रिक्स समिट के दौरान नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद आया है। हालांकि, उन्होंने माना कि हाल के कुछ महीनों में दोनों देशों के रिश्ते कुछ कमजोर हुए हैं और इसकी वजहें भी जाहिर हैं।
– यी ने अपने बयान में डोकलाम विवाद का जिक्र नहीं किया। सिक्किम के ट्राइजंक्शन एरिया डोकलाम में भारत और चीन के सैनिक 73 दिनों तक आमने-सामने रहे थे।
– वांग ने कहा- हमें उस रास्ते पर आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए जो दोनों नेताओं ने तय किया है। बाइलेटरल रिलेशन सही रास्ते पर होने चाहिए। इनको पटरी से नहीं उतरना चाहिए। ऐसा रास्ता खोजना चाहिए जिसमें दोनों को फायदा हो। एक-दूसरे को खतरा नहीं मानना चाहिए।
– यी के मुताबिक- पंचशील सिद्धांत को फॉलो किया जाना चाहिए और इसी के जरिए आपसी विवादों को हल करना चाहिए।
क्या कहा था रावत ने?
– दिल्ली में बुधवार को एक प्रोग्राम के दौरान स्पीच में रावत ने कहा था- चीन धीरे-धीरे हमारी सीमाओं के करीब आने की कोशिश कर रहा है। उसने ताकत दिखाने की कोशिश की है। पाकिस्तान नॉदर्न बॉर्डर पर होने वाले टकराव का फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है। इसलिए हमें दो मोर्चों पर जंग के लिए तैयार रहना होगा।
– रावत ने कहा- हो सकता है यह टकराव किसी खास इलाके और जगह तक सीमित हों। लेकिन, यह पूरी जंग में भी बदल सकते हैं। क्योंकि, नॉदर्न बॉर्डर पर पैदा होने वाले हालात का फायदा वेस्टर्न बॉर्डर पर उठाने की साजिश रची जाएगी।
– रावत ने चीन या पाकिस्तान का साफ तौर पर नाम तो नहीं लिया लेकिन वेस्टर्न और नॉदर्न बॉर्डर फ्रंट शब्द का इस्तेमाल खतरा बताने के लिए किया।
– जनरल रावत ने कहा था- ये सही है कि एटमी हथियारों से लैस दो मुल्कों के बीच जंग होना मुश्किल होती है। लेकिन, ये मान लेना कि ऐसा हो ही नहीं सकता, गलत होगा। उन्होंने कहा, ” लेकिन यह कहना कि ये युद्ध टाल सकते हैं । ये राष्ट्रों को लडने नहीं देंगे, हमारे संदर्भ में यह कहना सही नहीं भी हो सकता।”
– पाकिस्तान का नाम लिए बिना उन्होंने कहा- उस मुल्क से दोस्ती की कोई गुंजाइश नहीं दिखाई देती क्योंकि उनकी सेना ने सरकार और लोगों के मन में यह भर दिया है कि भारत उसका दुश्मन है। वैसे भी प्रॉक्सी वॉर की वजह से टकराव का खतरा हमेशा बना रहता है।
– जनरल रावत ने कहा था- ये सही है कि एटमी हथियारों से लैस दो मुल्कों के बीच जंग होना मुश्किल होती है। लेकिन, ये मान लेना कि ऐसा हो ही नहीं सकता, गलत होगा। उन्होंने कहा, ” लेकिन यह कहना कि ये युद्ध टाल सकते हैं । ये राष्ट्रों को लडने नहीं देंगे, हमारे संदर्भ में यह कहना सही नहीं भी हो सकता।”
– पाकिस्तान का नाम लिए बिना उन्होंने कहा- उस मुल्क से दोस्ती की कोई गुंजाइश नहीं दिखाई देती क्योंकि उनकी सेना ने सरकार और लोगों के मन में यह भर दिया है कि भारत उसका दुश्मन है। वैसे भी प्रॉक्सी वॉर की वजह से टकराव का खतरा हमेशा बना रहता है।