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प्रद्युम्न हत्याकांड : जानिए, पोस्टमार्टम का सच, शोर में दब गई वो मौत की चीख

गुरुग्राम । सात वर्षीय मासूम प्रद्युम्न बाथरूम के बाहर तड़पता रहा, लेकिन उसकी आवाज नहीं निकली। उसके ऊपर लगातार दो बार बाथरूम के भीतर ही वार किए गए। इस वजह से गले की नली कट गई। पोस्टमार्टम करने वाले बोर्ड के सदस्य डा. दीपक माथुर का कहना है कि पहली बार में जब गले के ऊपर वार किया जाता है तो चीख निकलती है। दूसरी बार में गले की नली कट जाती है जिससे आवाज नहीं निकलती है। इस वजह से प्रद्युम्न बाथरूम से बाहर तड़पता हुआ आया लेकिन उसकी आवाज नहीं निकली। उसके दो बार चाकू से वार किए गए।

वह बाथरूम से बाहर निकलते ही दीवार से टकराकर गिर गया था। दीवार के सहारे उठने का प्रयास किया लेकिन नहीं उठ सका। अंतत जिंदगी की जंग हार गया। पूरे घटनाक्रम से साफ लगता है कि किसी सोची समझी साजिश के तहत हत्याकांड को अंजाम दिया गया।

प्रद्युम्न सात साल का था, लेकिन हिम्मत उसके ऊपर हमला करने वाले हैवान से कम नहीं थी। जब दो बार चाकू से वार होने के बाद भी वह हैवान के चंगुल से बाहर निकल गया। बाथरूम के भीतर खून के निशानों से साफ लगता है कि हैवान ने उसे बाहर न निकलने देने की भरसक कोशिश की लेकिन वह कामयाब नहीं हुआ।

यदि दूसरी बार उसके ऊपर वार नहीं किया जाता और वह दीवार से टकराकर नहीं गिरता तो शायद वह तड़पता हुआ अपनी कक्षा तक पहुंच जाता। इतनी हिम्मत उसके भीतर थी।

जहां पर बाथरूम है उससे मुश्किल से चार कदम की दूरी पर कक्षा एक है। ठीक सामने कंप्यूटर लैब है। बाथरूम साइड में नहीं बल्कि मुख्य गैलरी के किनारे है। बगल में ही दो कदम की दूरी पर पानी पीने की सुविधा है, जिस गैलरी के किनारे बाथरूम है वहां पर एक मिनट के लिए भी बच्चे या स्कूल के कर्मचारी न हो, ऐसा नहीं हो सकता।

ऐसी स्थिति में कोई भी कितना ही विकृत मानसिकता का क्यों न हो, वह किसी बच्चे के साथ गलत करने की बात तो दूर, करने के बारे में सोच भी नहीं सकता। साफ है कि आरोपी ने गलत करने की कोशिश नहीं की होगी। बच्चा तड़पता हुआ बाहर निकला था।

इसका मतलब यह है कि बाथरूम का दरवाजा अंदर से बंद नहीं किया गया था। जहां पर बाथरूम है वहां पर बिना दरवाजा बंद किए कोई गलत करने की हिम्मत कर ही नहीं सकता।

स्कूल के जिस क्लास रूम में प्रद्युम्न पढ़ता था उस रूम से बाथरूम की दूरी मुश्किल से 25 कदम है। ऐसी स्थिति में यदि बच्चे को स्कूल आते ही बाथरूम भी जाने की इच्छा होगी तो वह पहले बैग अपनी सीट पर रखेगा।

प्रद्युम्न सीधे बाथरूम ही क्यों पहुंचा ? ऐसा लगता है जैसे उसे इशारा करके बाथरूम तक बुलाया गया होगा। स्कूल के गेट से लेकर बाथरूम तक कुल दूरी 225 मीटर से अधिक नहीं होगी। छोटे बच्चे को इतनी दूरी तक आने में पांच से छह मिनट लग जाते हैं क्योंकि वे मस्ती में चलते हैं।

साथ ही सुबह-सुबह बच्चों की भीड़ होती है इससे काफी तेजी से आगे कोई निकल भी नहीं सकता। इस तरह कुल मिलाकर पांच से छह मिनट भीतर ही घटना को अंजाम दे दिया गया।

बता दें कि वरुणचंद ठाकुर अपने बेटे को गेट पर सुबह सात बजकर 50 मिनट पर छोड़कर गए थे। आठ बजकर दस मिनट पर उन्हें बच्चे के लहूलुहान हालत में गिरे होने की सूचना दी गई। इससे आशंका होना लाजिमी है कि हत्या सोची समझी रणनीति के तहत की गई।

स्कूल के भीतर एक नहीं बल्कि कई कमियां हैं जो प्रबंधन के खिलाफ लापरवाही को दर्शाता है। बच्चों के ही बाथरूम का उपयोग स्कूल के स्टाफ से लेकर बस चालक व सहायक तक करते हैं।

बच्चों के बाथरूम का उपयोग दूसरा नहीं कर सकता। बाथरूम की खिड़की टूटी हुई। कोई भी पीछे से घूस सकता है। स्कूल में चारों तरफ बाउंड्री नहीं है। कोई भी बाहरी परिसर में आ सकता है। इसके अलावा भी कई कमियां हैं जो प्रबंधन के खिलाफ जाता है। यदि बाथरूम अलग से होता तो बस सहायक बच्चों के बाथरूम तक पहुंचता ही नहीं।

गुरुग्राम के पुलिस आयुक्त संदीप खिरवार का कहना है कि गुरुग्राम के लोगों के मन में जितनी भी आशंकाएं हैं, सभी को जांच से दूर किया जाएगा। पूछताछ के दौरान आरोपी बस सहायक अशोक से पूरी सच्चाई हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है। एसआइटी पूरी सच्चाई जल्द ही सामने रखेगी।

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