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जंगली जानवर की तरह पेश आया राम रहीम, वह रहम का हकदार नहीं: जज

रोहतक. डेरा सच्चा सौदा चीफ राम रहीम को दो साध्वियों का रेप करने के केस में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के जज जगदीप सिंहलोहान ने 10-10 साल की सजा सुनाई। खुद को कम से कम सजा मिले, इसके लिए सुनारिया जेल में बने कोर्ट रूम में राम रहीम ने ड्रामा किया। वह रोया, माफी मांगी और सात साल की ही सजा देने की गुहार लगाता रहा। अपने ‘अच्छे काम’ गिनाने के लिए साेशल वर्क्स की बुकलेट भी कोर्ट रूम में पेश की, लेकिन जज ने कहा कि ऐसे शख्स के लिए कोई रहमदिली नहीं दिखा सकते। सजा सुनाने के अपने 9 पेज के ऑर्डर में जज ने कहा- जिसने अपनी साध्वियों को ही नहीं छोड़ा और जो जंगली जानवर की तरह पेश आया, वह किसी रहम का हकदार नहीं है।
यह शख्स हमदर्दी का भी हकदार नहीं
– जज ने कहा, ”केस से जुड़े तमाम तथ्यों और हालात के मद्देनजर इस कोर्ट का यह मानना है कि अगर यह दोषी अपनी ही महिला अनुयायियों का सेक्शुअल हैरेसमेंट करने और उन्हें धमकाने में शामिल रहा है तो ऐसा शख्स कोर्ट की किसी भी हमदर्दी का हकदार नहीं है।”
– दरअसल, जज की यह टिप्पणी राम रहीम के वकीलों की उस दरख्वास्त के संदर्भ में थी जिसमें डेरा प्रमुख को कई बीमारियां होने का हवाला दिया गया था।
– जज ने कहा, ”जब दोषी ने अपनी ही साध्वियों को नहीं छोड़ा और जंगली जानवर की तरह पेश आया तो वह किसी रहम का हकदार नहीं है। दूसरे शब्दों में कहें तो इस शख्स का इंसानियत से कोई लेनादेना नहीं है और उसके स्वभाव में ही कोई रहमदिली नहीं ह
– जज जगदीप सिंह ने फैसले में कहा, ”सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि रेप सिर्फ फिजिकल असॉल्ट नहीं होता, वह विक्टिम की पूरी पर्सनैलिटी को तबाह कर देता है। इस केस में दोषी को विक्टिम्स ने भगवान का दर्जा दिया था। लेकिन दोषी ने अपने भोले-भाले अनुयायियों का सेक्शुअल असॉल्ट कर उनके भरोसे को गंभीर रूप से तोड़ा है।”
– जज ने महात्मा गांधी के कोट्स का भी जिक्र किया जिसमें बापू ने कहा था- अगर हम महिला को समाज का कमजोर हिस्सा मानते हैं तो यह पुरुषों की महिलाओं के प्रति नाइंसाफी है। महिला के बिना पुरुष नहीं हो सकता।
‘दोषी के पास पैसों की कमी नहीं’
– जज ने कहा, ”सुनवाई के दौरान कईबार दोषी ने अपनी फिल्मों के प्रमोशन के लिए विदेश जाने की इजाजत मांगी। अर्जियों में उसने कहा कि उसकी प्रोड्यूस की गई फिल्मों में करोड़ों रुपए लगे हैं, इसलिए प्रमोशन के लिए उसका विदेश जाना जरूरी है। इन तथ्यों से साफ होता है कि दोषी के पास पैसे की कमी नहीं है। वह बड़ी दौलत का मालिक है। लिहाजा, उसके पास विक्टिम्स को हर्जाना देने के लिए काफी फाइनेंशियल रिसोर्सेस हैं।”
– इसी के बाद जज ने राम रहीम पर दो रेप केस के लिए 15-15 लाख रुपए का जुर्माना लगाया। 14-14 लाख रुपए दोनों रेप विक्टिम साध्वियों को देने को कहा।
– राम रहीम के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (रेप), 509 (महिला की इज्जत से खिलवाड़) और 506 (डराने-धमकाने) के तहत केस था।
– सीबीआई के स्पेशल प्रॉसिक्यूटर ने कहा कि दोषी उन लड़कियों का यौन शोषण करता रहा जो उन्हें पिता मानती थीं और भगवान की तरह उन्हें पूजती थीं। दोषी ने उन महिलाओं के भरोसे को तोड़ा और उन्हें फिजिकली और साइकोलॉजिकली एक्स्प्लॉइट किया। यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस है जिसका सोसायटी पर बड़ा असर पड़ता है। लिहाजा बाबा को अधिकतम सजा दी जानी चाहिए।
– राम रहीम के वकीलों ने कहा कि बाबा की उम्र 50 साल है। वह हाइपरटेंशन, एक्यूट डायबिटीज और गंभीर पीठ दर्द से जूझ रहा है। वह सोशल वर्क से जुड़ा रहा है। उसकी बुजुर्ग मां भी है जो कई बीमारियों से जूझ रही हैं। बाबा के ही मोटिवेशन के तहत स्कूल-कॉलेज जैसे कई इंस्टिट्यूशंस चल रहे हैं। हजारों लोग इनमें नौकरी करते हैं। इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए सजा सुनाने में नरमी बरतनी चाहिए।
– राम रहीम के वकीलों ने कहा कि बाबा कई सोशल वर्क्स से जुड़ा है। वह हरियाणा में ऐसे समय मैक्जिमम सोशल वर्क कर रहा है जब हरियाणा की सरकार फेल रही है। राम रहीम ने यहां तक कि लोगों को प्रॉस्टिट्यूट्स से शादी करने के लिए भी प्रेरित किया है और ड्रग एडिक्शन कम करने में प्रशंसनीय काम किया है। कोर्ट में बाबा अपने सोशल वर्क्स की बुकलेट भी लेकर आया था।
– 2002 में एक साध्वी ने गुमनाम चिट्ठी लिखी। इसमें बताया गया था कि कैसे डेरा सच्चा सौदा के अंदर लड़कियों का सेक्शुअल हैरेसमेंट होता था।
– यह चिट्ठी पंजाब और हरियाणा कोर्ट को भी भेजी गई थी। इसके बाद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख के खिलाफ यौन शोषण का केस शुरू हुआ। सीबीआई ने जांच शुरू की।
– 15 साल बाद सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने गुरमीत राम रहीम सिंह को दोषी करार दिया।
क्या थीं इस रेप केस की 5 अहम कड़ियां?
– दो साध्वियों के अलग-अलग बयान हुए। दोनों में समानता मिली।
– एक सेवादार के रिश्तेदार परमजीत के भी 164 बयान हुए।
– कोर्ट के सामने डेरे से जुड़ी घटनाओं की कड़ी से कड़ी जुड़ती गई।
– मेडिकल एविडेंस नहीं थे। ‘रीलेट चेन ऑफ इवेंट्स’ ही केस का बेस बना।
– बाबा की दलीलें सही नहीं पाई गईं।

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